राग :- खमाज
राग :- खमाज
आरोह :- सा , ग , म प , ध नि सां
अवरोह :- सां नि ध प , म ग , रे सा
पकड़ :- नि ध , म प ध _ म ग , प म ग रे सा
अवरोह :- सां नि ध प , म ग , रे सा
पकड़ :- नि ध , म प ध _ म ग , प म ग रे सा
आलाप 8 मात्रा
- सा _ ग सा | ग म प _
- ग म प _ | नि ध प _
- सा ग म प | ग म प _
- नि ध म प | ध म ग _
- सा _ नि. सा | ग रे सा _
- सा ग म ग | _ _ रे सा
- सा ग मप धप | म ग रे सा
- गम प नि ध | प गम ग रेसा
आलाप 12 - 16 मात्रा
- ग म प _ | नि ध प _ | म प ध _ | म _ ग _
- ग म प ध | नि ध _ प | ध _ म _ | ग _ रे सा
- ग म प ध | नि _ सां _ | नि ध प _ | ग म ग _
- सां _ नि _ | ध _ प _ | ग म प ध | नि _ सां _
- सां _ _ _ | नि ध प म | ग म ग _
- सां _ निध पम | ग म ग _ | रेसा नि.सा ग _
- सांनि रेंसां नि _ | धप मप ध प | गम ग रेसा नि.सा | ग मप धनि सा _
- गम पध निध पम | मप धप मग रेसा
- साग मप मग रेसा | गम पध निनि सां_
- साग मप गम पध | मप धनि पध निसां
- सांरें सांनि धप मग | रेसा गम पध निसां
- पम धप निध पम | गम धप मग रेसा
- नि.सा मग रेसा नि.सा | गम पम गरे सा_
- नि.सा गम पध निनि | धनि धप मग सां_
- नि.सा गम पध निसां | निनि धप मग सां_
- नि.सा गम साग मप | गम पम गरे सां_
तान 16 मात्रा
- साग मप निध पम | गम पध निसां निध | पध निसां गंगं रेंसां | निध पम गरे सा_
- पम गरे सा_ गम | पध निध पम धनि | सां_ गंगं रेंसां निध | पध पम गरे सा_
- गम पम मप धप | गम पध निध पध | पम पध निसां निसां | निध पम गरे सा_
- पप मप धप मग | साग मप मग रेसा | निनि धनि धप मग | साग मप मग रेसा
- सांनि धप गम पनि | सांरें सांनि धप मग | पध निसां गंरें सांनि | धप मग मग रेसा
- सांनि धप निध पम | धप मग पम गरे | साग मप गम पध | मप धनि पध निसा
- सांनि सांसां निनि धप | धनि सांरें निसां गंरें | सांनि धप मग रेसा | नि.सा गम पध निसां
इस
राग की रचना खमाज थाट से मानी जाती है | इसके आरोह में ऋषभ स्वर वर्जित
है और अवरोह मे सातो स्वर
प्रयोग किये जाते हैं । इसलिये इसकी जाति षाडव-सम्पूर्ण है। इसके आरोह में शुद्ध और
अवरोह में कोमल निषाद का प्रयोग किया जाता है। शेष स्वर शुद्ध लगते हैं। वादी स्वर गंधार और सम्वादी स्वर निषाद माना जाता है| रात्रि के दूसरे प्रहर में इसे गाते बजाते है।
थाट
:- खमाज
वर्ज्य
स्वर :- रे ( आरोह मे ) और ( अवरोह मे ) सातो स्वर
प्रयोग किये जाते हैं।
राग की जाती :- षाडव-सम्पूर्ण
आरोह
में :-
शुद्ध नि
अवरोह
में :-
कोमल नि
वादी
स्वर :- ग
संवादी
स्वर :- नि
गायन
का समय :- रात्रि का दूसरा प्रहर
विशेषता :-
1. यह चंचल प्रकृति का राग है, अतः इसमें
छोटा ख्याल, ठुमरी और टप्पा गाई जाती है। इसमें विलम्बित
ख्याल गाने का प्रचार नहीं है। इसे वादन में मसीतखानी और रजाखानी अर्थात, विलम्बित और दुर्त दोनों प्रकार से गाते बजते हैं।
2. कल्याण राग के समान यह भी एक
आश्रय राग है।
3. ऊपर हम बता चुके हैं की इसके
आरोह में ऋषभ व्रज्य है, किन्तु ठुमरी गाते समय कभी-कभी आरोह में भी ऋषभ प्रयोग करते हैं। केवल
इतना ही नहीं, सुंदरता बढाने के लिए कहीं-कहीं अन्य रागों की
छाया भी दिखाते हैं।
4. अवरोह में ध से
प पर न जाकर अधिकतर मध्यम पर चले
जाते हैं जैसे :- नि ध, म प ध s म ग । इस प्रकार कभी-कभी अवरोह में प वक्र
प्रयोग किया जाता है।
न्यास
के स्वर
:- सा, ग, और प,
मिलते-जुलते
राग :- राग तिलंग
तिलंग
:- ग
म प नि सां, नि प ग म ग,
खमाज
:- ग
म प ध नि सां, नि ध s म प ध s म ग,
प्रारम्भिक आलाप
- सा, ग म प, म प ध s म ग, ग म प ध ग म ग, प म ग रे सा, नि. ध. सा।
- सा, ग म प, नि ध s म प ध म ग s ग म प, ग म प ध नि ध प, म प ध s म ग, सा ग म प ग म प, ग म ग, ग म प ध प, नि ध म प ध s म ग, प म ग रे सा।
- नि. सा ग म प, नि ध प ध नि सां s नि ध प, सां s नि ध प, नि ध s ग म ग, ग म प s नि ध ग म ग, ग म प ध नि सां नि ध ग म ग, नि सां रें सां नि ध म प ध s म ग, सा ग म प s ध म ग, प म ग रे सा।
- ग म प ध नि सां, नि सां नि सां गं मं गं रें सां, रें सां नि ध, प ध नि सां (सां) नि ध, रें सां नि ध, ध प ध सां नि ध प, ध s म ग, ग म प ग म नि ध प, ध प म ग, म प म ग, सा ग म प s म ग, प म ग रे सा।
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