राग :- बिलावल
राग :- बिलावल
आरोह :- सा , रे , ग , रे , ग , प , ध , S , नि सां
अवरोह :- सां नि ध प , ध नि ध प , म ग म रे , सा
पकड़ :- म ग म रे , ग प , ध नि सां
अवरोह :- सां नि ध प , ध नि ध प , म ग म रे , सा
पकड़ :- म ग म रे , ग प , ध नि सां
स्थायी आलाप ४ मात्रा
- सा _ नि. ध. │ प नि. सा _
- सा रे ग रेग │ म ग रे सा
- सारे गप म ग │ म रे सा _
- सारे गप ध प │ मग म रे सा
- सां _ नि सां │ ध नि सां _
- सां नि ध प │ ध नि सां _
- सां _ रेंगं मं │ गं रें सां _
स्थायी तान ४ मात्रा
अन्तरा तान ४ मात्रा
- सारे गरे सा_ सारे │ गप मग मरे सा_
- सारे गप धनि धप │ गप मग मरे सा _
- सारे गप धनि सांरें │ सांनि धप मग रेसा
- सारे गप रेग पध │ गप मग मरे सा_
- सारे गसा रेग सारे │ गप मग मरे सा_
अन्तरा तान ४ मात्रा
- सांनि धप मग रेसा │ सारे गप धनि सां_
- सांनि धप निध पम │ गप धनि सांरें सां _
राग का विवरण :-
अल्हैया बिलावल के बारे में दो सब्द जो हम लोगों को जानना अति आवश्यक है | हम पहले अल्हैया बिलावल के थाट के बारे में जानेंगे ये राग बिलावल थाट से उत्पन्न हुवा है ऐसा माना जाता है | इसके आरोह में मध्यम वज्र्य है | मध्यम को हम ( म ) कहते हैं और ( म ) का उपयोग हम स्वर मे आगे बढ़ते समय नहीं करते हैं | जैसे ( सा रे ग प ध नि सां ) और अवरोह में सातों स्वर प्रयोग किये जाते हैं | हम स्वर मे पीछे आते समय हम सातों स्वर का प्रयोग करते है | जैसे ( सां नि ध प म ग रे सा ) ये स्वर | इसलिये इसकी जाती ( षाडव सम्पूर्ण ) माना जाता है | षाडव इस लिए की आरोह में 6 स्वरों का प्रयोग किया गया है और सम्पूर्ण इस लिए क्युँ की अवरोह में 7 स्वरों का प्रयोग किया गया है | वादी स्वर धैवत ( ध ) और सम्वादी स्वर गंधार ( ग ) है | इस राग के गाने का समय दिन का प्रथम प्रहर है | आरोह में शुद्ध निषाद ( नि ) और अवरोह में कोमल निषाद ( नि )प्रयोग किये जाते हैं और सभी स्वर शुद्ध हैं
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